Sunday, November 11, 2012

भेडियों का लोकतंत्र

डर सिर्फ भेड़ों को ही नहीं लगता है।
भेडिये को भी दर्द होता है।
डरते है वो भी खत्म होने से
उन्हें भी मालूम होते है मौत के मायने
इसी लिये वो भी इकट्ठा होते है
भेड़ों के बा़ड़े के बाहर
अपने दर्द के बयान लिए
कई बार भेड़ियों को बोलते हुए सुनना
भय की बातों को दोहराना होता है
मंच पर चिल्लाते हुए भेडियों को सुनना
दर्द से बिलखते हुए आंतक का अपने लिये रहम की उम्मीद रखना
भेड़ों को लग सकता है किस तरह से खतरे में उनके रहनुमाओं की पीढ़ी
र मैदान में प के मंच से
हैरानी देखने वालों को हो सकती है
भेड़ों के लिए रोते बिलखते हुए भेडिये
भेडियों के बच्चों को दर्द हो रहा है
सूखी घास से जिंदा है मेमने भेडो़ं के
हजारों एकड़ के विशाल जंगलों पर काबिज भेडों को
हरी घास के लिये चलना पड़ रहा है भेड़ों को
ये साजिश है किसी दूसरे भेडियों की
दांत में कई बार हड्डियों के फंसने से भी नुकसान होता है
गले में भेड़ों की हड्डियों से सांस हो गयी बंद
इतनी सी बात से खत्म नहीं हो सकते है भेडिये
किस तरह से संभालना है जंगल
किस तरह से रखना है अपना रेवड़ सही सलामत
खाने के तरीके को बदलना होगा
हर भेडियों को ईजाद करनी होगी खुद की तरकीब
मंच पर चिल्ला रहे भेडियों को गुस्सा है
उस झुंड पर
जो बिना बाडें पर कब्जा जमाये खा जाना चाहते है
मेमने
, भेड़ इसी लिए इस क को चाहिये ताकत भेड़ों की
भेडें चिल्ला रही है रहनुमाओं के लिये
उनको सिखाया गया है अगर खून से नहीं धुले दांत भेडियों के
बढ़ जायेगी पैदावार भेड़ों की
खत्म हो जायेगी घास जंगल की
भेड़ों को बचाने की जद्दोंजहद में भेडियों भिडे है
देसी भेडियों चाहते है विदेशी भेडियों की तकनीक
दूसरे जंगल से आने वाले भेडियों के पास है
ऐसे कई तरीके जिससे खत्म कर सकते है वो रेवड़ के रेवड
एक झटके में
और इन्हीं तरीकों देश में लाने के लिए भेड़ों के दिमाग में छाया डर दूर कर रहे है
देशी भेडिये
घास तेजी से बढ़ेगी
, पानी की कमी में भी घास उग सकती हैऔर भी कई तकनीके है
, बेकार नहीं जाएगा कूड़ासूख गयी घास से भी निकल आयेगा रस
लेकिन ये आसान नहीं है देसी भेडिये के लिये
खतरा है दूसरे के झुंड से
जिसको अभी मांस में हिस्सेदारी नहीं मिल रही है
जंगल के कई हिस्सों में जरूर उनको भेडों
ने चुना है।
लेकन उनकी नजर है पूरे जंगल पर
वो रोक रहे है विदेशी तकनीक
भेड़ों को डराकर
शायद बहक न जाएं
भेड़े ऐसे देशी भेडियों से
यही डर है जो इस वक्त
सत्ता में बैठे झुंड को डरा रहा है
कुछ भेड़ों के जेहन में उठने लगे है सवाल
कुछ भेडें पूछ रही है सवाल
भेडियों का डर यही है
दिमाग में लगाएं हुए ताले कही खुल न जाए
भेडियों के मुंह पर लग न जाए लगाम
इसको लेकर रो रहे है भेडिये
सालों से दादा भेडिया
,नाना भेडिया,मां भेडिया, या बाप भेडिया के सहारे चल रही भेडियों की नयी पीढी है बेहद शातिर है
उसने सब कुछ सीखा है विदेशी भेडियों के ट्रैनिंग स्कूलों में
स्कूल जहां गलती करना नहीं सिखाया जाता
तकनीक के सहारे नुक्स दूर किया जाता है
गुस्से को मुस्कुराहट की जरूरत नहीं
अपने खून में सने दांतों को छुपाना है
बेहद खुशबूदार माउथ वाश से
नफासत दिखे बात चीत के अंदाज में
समझ हो दुनिया के जंगलों की
बाप के नाम पर चुन लेगी भेड़े इनको
भेड़ों को डर है भेडियों के खत्म होने का
वो जानती है पीढियों से इन भेडियों को
खाने का सलीका
. बच्चों को उठाने का सलीकाकिस कदर ये नोंचते है जिस्म
काली भेड हो या फिर सफेद
नोंचने से पहले नारा लगाते है ..........................क्रमश

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